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दे हाता या शरणगता ॥ध्रु०॥...

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ताल त्रिवट.

दे हाता या शरणगता ॥ध्रु०॥

मदविलसितनदगता पंकयुता मुखमलिना धना हो त्राता ॥या॥१॥चा०॥

संपदा चपलचरणा । आपदा भोगि नाना । परत ये पद्मसदना ॥चा०॥

कुवलय तव मुख तिला; अजि कमला विनवि तुला, मला घे आतां ॥या॥२॥

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