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मनुज धरी आम्रापरि सुवासित...

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राग जिल्हा मांड, ताल त्रिवट.

मनुज धरी आम्रापरि सुवासित विभवमधा मंजिरी ॥ध्रु०॥

कुसुमित विटप दिसे मग होई तो विपुल सुफल मनहारी ॥१॥

नर रणसाहस वैभव पावत मग जनदुरित निवारी ॥२॥

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