Bookstruck

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(पहाडी)
लग्नविधींतील खरें मर्म काय । ठाउक तें मुळीहि तुज नसे ॥धृ०॥
वैवाहिक होममंत्र अंत:पट अक्षतादि ॥ पोषक हे विधि, मिळणि
जीव जिवा सार हें असे ॥१॥
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