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विश्वास का फल

by माधवप्रसाद मिश्र

बड़े-बड़े मकानों, बड़ी-बड़ी दूकानों, लंबी-चौड़ी सड़कों, एक से एक बढ़ के कारखानों और रोजगारियों की बहुतायत ही के सबब से नहीं, बल्कि अँगरेजों की कृपा से सैर तमाशे का घर बने रहने और समुद्र का पड़ोसी होने तथा जहाजी तिजारत की बदौलत आला दरजे की तरक्‍की पाते रहने के कारण इस समय कलकत्‍ता शहर जितना मशहूर और लक्ष्‍मी के कृपापात्रों का घर हो रहा है उतना बम्‍बई के सिवा और कोई दूसरा शहर नहीं।

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