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अघोरी बनने के लिए शर्तें

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अघोर बनने के लिए पहली शर्त है घृणा को अपने ह्रदय से निकाल देना | अघोर क्रिया इन्सान को सहज जीवन का ज्ञान देती है | असलियत में अघोरी वो होता है जो शमशान जैसी भयानक जगह पर भी अपने सारे डरों को त्याग कर सहजता से रह सके |ऐसा कहते हैं की अघोरी मानव मांस का सेवन करते हैं | इस को करने के पीछे तर्क ये है की व्यक्ति के मन से घृणा निकल जाए |अघोरी उनको अपनाता है जिनसे समाज घृणा करता हो | लोग अक्सर शमशान ,लाश ,इंसानी मांस आदि से घृणा करते हैं लेकिन अघोरी इन सब चीज़ों को अपनाता है |

अघोर विद्या हर चीज़ के प्रति समान भाव रखने की शिक्षा देती है |अघोरी विद्या के आलोचकों को ये नहीं मालूम की इस विद्या में लोक कल्याण की भावना समायी है |अघोर विद्या इन्सान को ऐसा बनाती है जिसमें वह हर भेदभाव को भूल हर व्यक्ति को समान रूप से चाहता है और उस व्यक्ति के भले के लिए अपनी विद्या का प्रयोग करते हैं |अघोर विद्या के जानकार ऐसा मानते हैं की जो असली अघोरी होते हैं वह आम दुनिया में सक्रीय भूमिका नहीं रखते वह केवल अपनी साधना में व्यस्त रहते हैं | अघोरियों की सबसे ख़ास बात है की वह किसी से कुछ मांगते नहीं है |

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