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यक्षिणी साधना

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यक्ष की पत्नियों को यक्षिणियां भी कहते हैं | ये कई प्रकार के होते हैं और भूमि में गड़े खजाने के रक्षक और निधिपति होते हैं |इनके सर्वोपरी निधि पति कुबेर हैं जो देवताओं की निधि की भी रक्षा करते हैं |
 
 
ये देहधारी होने के बावजूद भी सूक्ष्म रूप ले कहीं भी विचरण कर सकते हैं | इनका प्रमुख काम है धन की रक्षा करना इसलिए ये गुप्त धन की रक्षा करते हैं और समृद्धि, वैभव, राज पाट के स्वामी होते हैं | प्राचीन काल से मनुष्य धन पाने के लिए यक्षों की आराधना करता आया है | तंत्रों के मुताबिक रतिप्रिया यक्षिणी, साधक से संतुष्ट होने पर 25 स्वर्ण मुद्राएं प्रदान करती हैं।इसी प्रकार सुसुन्दरी यक्षिणी, धन तथा संपत्ति सहित, पूर्णायु, अनुरागिनी यक्षिणी, 1000 स्वर्ण मुद्राएं, जलवासिनी यक्षिणी, भिन्न प्रकार के नाना रत्नों को, वटवासिनी यक्षिणी, नाना प्रकार के आभूषण तथा वस्त्र को प्रदान करती हैं।
 प्रमुख यक्षिणियां है - 1. सुर सुन्दरी यक्षिणी, 2. मनोहारिणी यक्षिणी, 3. कनकावती यक्षिणी, 4. कामेश्वरी यक्षिणी, 5. रतिप्रिया यक्षिणी, 6. पद्मिनी यक्षिणी, 7. नटी यक्षिणी और 8. अनुरागिणी यक्षिणी।

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