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महाकाली शाबर मन्त्र

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माँ काली का साबर मन्त्र का प्रयोग साधना करनी हो तब ही पढ़ें | इसके इलावा ये ज़रूरी है की आप पवित्र होकर ही इस मन्त्र का उच्चारण करें नहीं तो कुछ अनिष्ट घट सकता है |बेहतर होगा किसी गुरु से जानकारी हासिल करके ही आगे कदम बढाएं |

ॐ निरंजन निराकार अवगत पुरुष तत सार, तत सार मध्ये ज्योत, ज्योत मध्ये परम ज्योत, परम ज्योत मध्ये उत्पन्न भई माता शम्भु शिवानी काली ओ काली काली महाकाली, कृष्ण वर्णी, शव वहानी, रुद्र की पोषणी, हाथ खप्पर खडग धारी, गले मुण्डमाला हंस मुखी। जिह्वा ज्वाला दन्त काली। मद्यमांस कारी श्मशान की राणी। मांस खाये रक्त-पी-पीवे। भस्मन्ति माई जहां पर पाई तहां लगाई। सत की नाती धर्म की बेटी इन्द्र की साली काल की काली जोग की जोगीन, नागों की नागीन मन माने तो संग रमाई नहीं तो श्मशान फिरे अकेली चार वीर अष्ट भैरों, घोर काली अघोर काली अजर बजर अमर काली भख जून निर्भय काली बला भख, दुष्ट को भख, काल भख पापी पाखण्डी को भख जती सती को रख, ॐ काली तुम बाला ना वृद्धा, देव ना दानव, नर ना नारी देवीजी तुम तो हो परब्रह्मा काली।
 

ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा।

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