Bookstruck

टैलीपैथी विद्या

Share on WhatsApp Share on Telegram
« PreviousChapter ListNext »
दूर संवेदन या परस्पर भाव बोध को आजकल टैलीपैथी कहा जाता है। अर्थात बिना किसी आधार या यंत्र के अपने विचारों को दूसरे के पास पहुंचाना तथा दूसरों के विचार ग्रहण करना ही टैलीपैथी है।
 
प्राचीन समय में यह विद्या ऋषि मुनियों या  आदिवासियों और बंजारों के पास भी होती थी। वे अपने संदेश को दूर बैठे किसी दूसरे व्यक्ति के दिमाग में डाल देते थे। टैलीपैथी विद्या का एक दूसरा रूप है इंटियूशन पॉवर।
 दरअसल हम सभी मैं थोड़ी-बहुत इंटियूशन पॉवर होती है, लेकिन कुछ लोगों में यह इतनी स्ट्रांग होती है कि वह अपनों के साथ घटने वाली अच्छी और बुरी दोनों प्रकार की घटनाओं को आसानी से समय से पहले जान लेते हैं। हालांकि अभी तक ऐसी कोई उपलब्धि वैज्ञानिकों को हासिल नहीं हो सकी है, जिसके आधार पर टेलीपैथी के रहस्यों से पूरा पर्दा उठ सके।

« PreviousChapter ListNext »