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श्रीकृष्ण की गंध

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प्रचलित कथाओं के अनुसार माना जाता है कि उनके शरीर से एक मादक गंध निकलती रहती थी। इस गंध को वे अपने गुप्त अभियानों में छुपाने की कोशिश करते थे। यही खूबी द्रौपदी में भी थी।
 द्रौपदी के शरीर से भी एक सुगंध निकलती रहती थी जो लोगों को आकर्षित करती थी। 
 
सभी इस सुगंध की दिशा  में देखने लगते थे। इसीलिए अज्ञातवास के समय द्रौपदी को चंदन, उबटन और इत्रादि का कार्य दिया गया जिसके चलते उनको सैरंध्री कहा जाने लगा था।माना जाता है कि श्रीकृष्‍ण के शरीर से निकलने वाली गंध गोपिकाचंदन और कुछ-कुछ रातरानी की सुगंध से मिलती जुलती थी।

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