Bookstruck

चारण और भाट

Share on WhatsApp Share on Telegram
« PreviousChapter ListNext »
चारण भारत के पश्चिमी गुजरात राज्य में रहने वाले व हिन्दू जाति की वंशावली का विवरण रखने वाले व्यक्ति  होते हैं। चारणों का उद्भवन कैसे और कब हुआ, वे इस देश में कैसे फैले और उनका मूल रूप क्या था, आदि प्रश्नों के संबंध में पुराणों में जानकारी मिलती है। ये देवताओं की ही  उप जाति है।

चरणों की उत्पत्ति दैवी कही गई है। ये पहले मृत्युलोक के पुरुष न होकर स्वर्ग के देवताओं में से थे (श्रीमद्भा. 3। 10। 27-28)।  ब्रह्मा ने चारणों का कार्य देवताओं की स्तुति करना निर्धारित किया। मत्स्य पुराण (249.35) अनुसार चारणों का उल्लेख स्तुतिवाचकों के रूप में है। चारणों ने सुमेरू छोड़कर आर्यावर्त के हिमालय प्रदेश को अपना तप क्षेत्र बनाया, इस प्रसंग में उनकी भेंट अनेक देवताओं और महापुरुषों से हुई। 
 ब्रह्मपुराण का प्रसंग तो स्पष्ट करता है कि चारणों को भूमि पर बसानेवाले महाराज पृथु थे। उन्होंने चारणों को तैलंग देश में स्थापित किया और तभी से वे देवताओं की स्तुति छोड़ राजपुत्रों और राजवंश की स्तुति करने लगे। महाभारत के बाद भारत में कई स्थानों पर चारण वंश नष्ट हो गया। केवल राजस्थान, गुजरात, कच्छ तथा मालवे में वह बचे रहे।

« PreviousChapter ListNext »