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सत्रहवें दिन

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शल्य को कर्ण का सारथी बनाया गया। इस दिन कर्ण भीम और युधिष्ठिर को हराकर कुंती को दिए वचन को स्मरण कर उनके प्राण नहीं लेता। बाद में वह अर्जुन से युद्ध करने लग जाता है। कर्ण तथा अर्जुन के मध्य भयंकर युद्ध होता है। कर्ण के रथ का पहिया धंसने पर श्रीकृष्ण के इशारे पर अर्जुन द्वारा असहाय अवस्था में कर्ण का वध कर दिया जाता है।
 
इसके बाद कौरव अपना उत्साह हार बैठते हैं। उनका मनोबल टूट जाता है। फिर शल्य प्रधान सेनापति बनाए गए, परंतु उनको भी युधिष्ठिर दिन के अंत में मार देते हैं।
 
कौरव पक्ष की क्षति : कर्ण, शल्य और दुर्योधन के 22 भाई मारे जाते हैं।
कौन मजबूत रहा : पांडव

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