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रक्तबीज

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 रक्तबीज बड़ा ही भयानक असुर था। भूमि पर उसके रक्त की एक भी बूंद गिरती तो उस रक्त से उसी के समान एक और राक्षस पैदा हो जाता। इस तरह युद्ध में उसकी जब हजारों बूंदें गिरीं तो हजारों राक्षस पैदा होकर हाहाकार मचाने लगे। यह भयानक मंजर देखकर देवता भी घबराने लगे। सभी सोच में पड़ गए कि इसे कैसे मारा जाए?
यह रक्तबीज दरअसल अपने पूर्व जन्म में असुर सम्राट रंभ था जिसको इन्द्र ने तपस्या करते वक्त धोखे से मार दिया था। रक्तबीज के रूप में उसने फिर से घोर तपस्या की और यह वरदान प्राप्त किया कि उसके शरीर की एक भी बूंद अगर धरती पर गिरती है तो उससे एक और रक्तबीज उत्पन्न होगा।
 
अंत में महादेव के कहने पर माता काली ने रक्तबीज का वध किया था। शक्ति की अवतार मां काली ने रक्तबीज का सिर काटकर उसके रक्त का पान किया ताकि उसके शरीर की एक भी बूंद धरती का स्पर्श न कर सके।

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