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भूमिका

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प्राचीन भारत में महिलाएं काफी उन्नत थीं। समाज में पुत्र का महत्व था, पर पुत्रियों को भी  समान अधिकार और सम्मान मिलता था। मनु ने भी बेटी के लिए संपति में चौथे हिस्से का विधान किया था । उपनिषद काल में पुरुषों के साथ ‍स्त्रियों को भी शिक्षित किया जाता था। नारी भी सैन्य  शिक्षा लेती थी। महाभारत काल से नारी का पतन होना शुरू हुआ तो मध्यकाल आते-आते नारी पूरी तरह से पुरुषों की गुलाम, दासी और भोग्या बन गई।

हजारों भारतीय महिलाओं ने अपने कर्म, व्यवहार और बलिदान से विश्व में एक आदर्श प्रस्तुत किया है। प्राचीनकाल से ही भारत में पुरुषों के साथ महिलाओं को भी समान अधिकार और सम्मान मिला है इसीलिए भारतीय संस्कृति और धर्म में नारियों का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। इन भारतीय महिलाओं ने जहां हिंदू धर्म को प्रभावित किया वहीं इन्होंने संस्कृति, समाज और सभ्यता को नया मोड़ दिया। भारतीय इतिहास में इन महिलाओं के योगदान को कभी भी भूला नहीं जा सकता।
 
या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

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