
अभिज्ञानशाकुन्तल
by कालिदास
शकुंतला शृंगार रस से भरे सुंदर काव्यों का एक अनुपम नाटक है। कहा जाता है काव्येषु नाटकं रम्यं तत्र रम्या शकुन्तला (कविता के अनेक रूपों में अगर सबसे सुन्दर नाटक है तो नाटकों में सबसे अनुपम शकुन्तला है।)
Chapters
- प्रथम सर्ग : भाग 1
- प्रथम सर्ग : भाग 2
- प्रथम सर्ग : भाग 3
- प्रथम सर्ग : भाग 4
- प्रथम सर्ग : भाग 5
- द्वितीय सर्ग : भाग 1
- द्वितीय सर्ग : भाग 2
- द्वितीय सर्ग : भाग 3
- द्वितीय सर्ग : भाग 4
- द्वितीय सर्ग : भाग 5
- तृतीय सर्ग : भाग 1
- तृतीय सर्ग : भाग 2
- तृतीय सर्ग : भाग 3
- तृतीय सर्ग : भाग 4
- तृतीय सर्ग : भाग 5
- चतुर्थ सर्ग : भाग 1
- चतुर्थ सर्ग : भाग 2
- चतुर्थ सर्ग : भाग 3
- चतुर्थ सर्ग : भाग 4
- चतुर्थ सर्ग : भाग 5
- पंचम सर्ग : भाग 1
- पंचम सर्ग : भाग 2
- पंचम सर्ग : भाग 3
- पंचम सर्ग : भाग 4
- पंचम सर्ग : भाग 5
- षष्ठ सर्ग : भाग 1
- षष्ठ सर्ग : भाग 2
- षष्ठ सर्ग : भाग 3
- षष्ठ सर्ग : भाग 4
- षष्ठ सर्ग : भाग 5
- सप्तम सर्ग : भाग 1
- सप्तम सर्ग : भाग 2
- सप्तम सर्ग : भाग 3
- सप्तम सर्ग : भाग 4
- सप्तम सर्ग : भाग 5






