दिल में धडकती हो तुम
<p dir="ltr">यूँ बार बार मुझपे क्यूँ भड़कती हो तुम। <br>
कान लगा के सुन लो मेरे दिल में धड़कती हो तुम।। </p>
<p dir="ltr">इक रोज भी ना मिलूँ जो मैं तुमसे तो जान निकलने लगती है। <br>
बताओ मुझे क्या इतना तड़पती हो तुम।। </p>
<p dir="ltr">मेरी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहता। <br>
जब किसी पायल सी खनकती हो तुम।। </p>
<p dir="ltr">सोचता हूँ चाँद, तारे लाऊँ आैर रख दूँ तुम्हारे कदमो में। <br>
मेरी जान चाँद, तारों से भी ज्यादा चमकती हो तुम।। </p>
<p dir="ltr">यूँ दिन रात आवारगी अच्छी नहीं। <br>
भला क्यूँ मेरे ख्वाबों में भटकती हो तुम।।   </p>
<p dir="ltr">वो लम्हा ही मुझे जन्नत का एहसास होता है। <br>
जब अपने हाथों से मेरे सिर को थपकती हो तुम।।   </p>
<p dir="ltr">मैंने उस दिन से इत्र लगाना छोड़ दिया। <br>
जब से मेरी साँसों में महकती हो तुम।।</p>
<p dir="ltr">प्रिंस </p>
कान लगा के सुन लो मेरे दिल में धड़कती हो तुम।। </p>
<p dir="ltr">इक रोज भी ना मिलूँ जो मैं तुमसे तो जान निकलने लगती है। <br>
बताओ मुझे क्या इतना तड़पती हो तुम।। </p>
<p dir="ltr">मेरी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहता। <br>
जब किसी पायल सी खनकती हो तुम।। </p>
<p dir="ltr">सोचता हूँ चाँद, तारे लाऊँ आैर रख दूँ तुम्हारे कदमो में। <br>
मेरी जान चाँद, तारों से भी ज्यादा चमकती हो तुम।। </p>
<p dir="ltr">यूँ दिन रात आवारगी अच्छी नहीं। <br>
भला क्यूँ मेरे ख्वाबों में भटकती हो तुम।।   </p>
<p dir="ltr">वो लम्हा ही मुझे जन्नत का एहसास होता है। <br>
जब अपने हाथों से मेरे सिर को थपकती हो तुम।।   </p>
<p dir="ltr">मैंने उस दिन से इत्र लगाना छोड़ दिया। <br>
जब से मेरी साँसों में महकती हो तुम।।</p>
<p dir="ltr">प्रिंस </p>