वंदन
<p dir="ltr">सच्चिदानंद भगवन मेरी स्तुति वंदना स्वीकार करो,<br>
"आँचल" में भी स्नेह दीप फैलाकर दूर विकार करो।</p>
<p dir="ltr">सब साथी हो सब भाई हो ,<br>
बने श्रेष्ठ और हो प्रवीण,<br>
सबके उर  में सच्चाई हो,<br>
जन जन में प्रेम प्रवाहित हो,<br>
सबका तुम उच्च विचार करो।</p>
<p dir="ltr">इस आँचल में- - - - - -</p>
<p dir="ltr">हो  मातृभूमि  से  प्रेम भाव<br>
मन से मिट जाये आर्त घाव<br>
हो आभारी सब धरणी के<br>
ऐसा तुम सबमें प्यार भरो।</p>
<p dir="ltr">इस आँचल में- - -   - - -</p>
<p dir="ltr">      आँचल <u>दुबे</u>"अंकन"</p>
"आँचल" में भी स्नेह दीप फैलाकर दूर विकार करो।</p>
<p dir="ltr">सब साथी हो सब भाई हो ,<br>
बने श्रेष्ठ और हो प्रवीण,<br>
सबके उर  में सच्चाई हो,<br>
जन जन में प्रेम प्रवाहित हो,<br>
सबका तुम उच्च विचार करो।</p>
<p dir="ltr">इस आँचल में- - - - - -</p>
<p dir="ltr">हो  मातृभूमि  से  प्रेम भाव<br>
मन से मिट जाये आर्त घाव<br>
हो आभारी सब धरणी के<br>
ऐसा तुम सबमें प्यार भरो।</p>
<p dir="ltr">इस आँचल में- - -   - - -</p>
<p dir="ltr">      आँचल <u>दुबे</u>"अंकन"</p>