Bookstruck

राह भूले पथिक

Share on WhatsApp Share on Telegram
Chapter ListNext »

राह भूले पथिक किन राहों में चलेंगे
रुठे हैं खुद से किसी से क्या कहेंगे
नेनौ से बाहें नीर बन न जाए सागर
रोकने को खुद को करते कितने जतन है
जीवन हर मौर पर कुर्बानी मँगती हैं
जीने को जीवन गुलामि मँगती हैं

घेरे है अंधेरे काले-काले घनघोर
तुफानो में फ़सि हैं जैसे जीवन की डोर
इस पर भी टूटी न आसा थोड़ी बची हैं
सिमटे सकुचे मन के किसी कोने में परी है
लौ सी है जलती धीमी उसकी गति हैं
जला देगी मुझको एक पल में प्रज्वलित हो
परन्तु नेनौ के बदरा से बेचारी घिरी है

Chapter ListNext »