सच
सच जानने की इच्छा सबको है
उसे मानने की हिम्मत किसी में नहीं
सच अगर समय पर नहीं कहा जाए
तो उसका कोई महत्व नहीं होता
कहना तो चाहती हूँ पर कहने की
हिम्मत भी कहा रह गई मुझमें
फिर भी उम्मीद करती हूँ की समकक्ष
खड़ा व्यक्ति सच कहे जाने क्यों
इच्छा मन में हैं कहतें हैं सच
छिपाए नहीं छिपता तो,क्यो
हो रही मुस्कील समझने में हैं
आज या कल वह सामने आ ही जाएगा
जो सच्चाई मन में हैं कोई माने या ना माने
मेने तो कह दिया जो केहना था
उसे समझना अब लोगों की समझ में हैं