Bookstruck

khamoshi

Share on WhatsApp Share on Telegram
Chapter ListNext »

मैं खामोश रह जाती हूँ
जैसे आती हुई हवा की तरह लोगों की बातें भी बह जाती हैं।
ये सोचकर कि कभी तो काल बदलेगा,हालात सुधरेगे
मेरी हृदयाघात से लोगों के सोच बदलेंगे।
मगर तटिनी की वेग सा जीवन पल पल बदलता है,
कल थी जहाँ, स्वयम् को वहीं अब भी मैं पाती हूँ।   मैं खामोश रह जाती हूँ ।

Chapter ListNext »