तांडव बहुत मचाऊंगा
<p dir="ltr">✍🏻   बिपिन कुमार चौधरी<br>
कुछ लोग कवि कहते हैं, <br>
कुछ मुझको कहते हैं ढोंगी..<br>
उन आँखों का मैं क्या करूं , <br>
जिनके पीछे का दिलो-दिमाग है मन का रोगी ...<br>
इंकलाब आएगा, <br>
संग्राम अभी बांकी है, <br>
मेरे पंखों से मत जलो, <br>
इम्तिहान मेरा बांकी है..<br>
समस्या का समाधान बाँकी है, <br>
अभी हमारा उड़ान बांकी है ...<br>
मोह-माया में फंसा हूँ, <br>
जुबां इसलिए मेरी बंद है, <br>
उस खेल का मैं भी माहिर खिलाड़ी हूँ, <br>
जिसका नाम शतरंज है,<br>
मेरी कमजोरी का तुमने, <br>
फायदा बहुत उठाया है,<br>
हक जिसपर तुम्हारा नहीं था, <br>
उसे भी तुमने हथियाया है, <br>
खैरात किसी का नहीं था ये आजादी, <br>
अपने पूर्वजों के मेहनत का फल हमने पाया है, <br>
अब भी सुधर जाओ आप, <br>
पहले हीं बहुत सताया है ....<br>
मानवता के लिये मैं तैयार होकर आऊंगा, <br>
सावधान हो जाओ छलियों, <br>
रणभेरी की जब बजेगी आवाज, <br>
तांडव बहुत मचाऊंगा ....</p>
कुछ लोग कवि कहते हैं, <br>
कुछ मुझको कहते हैं ढोंगी..<br>
उन आँखों का मैं क्या करूं , <br>
जिनके पीछे का दिलो-दिमाग है मन का रोगी ...<br>
इंकलाब आएगा, <br>
संग्राम अभी बांकी है, <br>
मेरे पंखों से मत जलो, <br>
इम्तिहान मेरा बांकी है..<br>
समस्या का समाधान बाँकी है, <br>
अभी हमारा उड़ान बांकी है ...<br>
मोह-माया में फंसा हूँ, <br>
जुबां इसलिए मेरी बंद है, <br>
उस खेल का मैं भी माहिर खिलाड़ी हूँ, <br>
जिसका नाम शतरंज है,<br>
मेरी कमजोरी का तुमने, <br>
फायदा बहुत उठाया है,<br>
हक जिसपर तुम्हारा नहीं था, <br>
उसे भी तुमने हथियाया है, <br>
खैरात किसी का नहीं था ये आजादी, <br>
अपने पूर्वजों के मेहनत का फल हमने पाया है, <br>
अब भी सुधर जाओ आप, <br>
पहले हीं बहुत सताया है ....<br>
मानवता के लिये मैं तैयार होकर आऊंगा, <br>
सावधान हो जाओ छलियों, <br>
रणभेरी की जब बजेगी आवाज, <br>
तांडव बहुत मचाऊंगा ....</p>