ग़लती
<p dir="ltr"><b>ग़लती</b></p>
<p dir="ltr"><b>✍🏻 बिपिन कुमार चौधरी</b><br>
<b>(BPNPSS MUL, कटिहार)</b></p>
<p dir="ltr"><b>आप तो चले थे, </b><br>
<b>किसी का कारवां मजबूत बनाने, </b><br>
<b>कारवां मजबूत होते हीं, </b><br>
<b>वो लोग लगे आपको आँख दिखाने ...</b></p>
<p dir="ltr"><b>आपने जीतना चाहा उसका भरोसा, </b><br>
<b>जिसके ख़ुद का कोई भरोसा नहीं था, </b><br>
<b>ठगी महसूस कर रही हैं आप, </b><br>
<b>इसके पीछे क्या आपका स्वार्थ अभिभूत समझौता नहीं था ..</b></p>
<p dir="ltr"><b>सफ़र छोटा करने की होड़ में, </b><br>
<b>अपनों से आगे निकलने की दौड़ में, </b><br>
<b>किसी के भरोसे को आपने भी ठगा था,</b><br>
<b>गीला कुछ ख़ास नहीं नियत आपका हीं बेवफ़ा था ...</b></p>
<p dir="ltr"><b>आज भी हम आपके साथ हैं, </b><br>
<b>बदलना हमें यह हालात है, </b><br>
<b>हमें छोड़ने वाले ये तो बताओ, </b><br>
<b>गलती हमने की थी या तुम्हारे अंदर कोई बात है ..</b></p>
<p dir="ltr"><b>✍🏻 बिपिन कुमार चौधरी</b><br>
<b>(BPNPSS MUL, कटिहार)</b></p>
<p dir="ltr"><b>आप तो चले थे, </b><br>
<b>किसी का कारवां मजबूत बनाने, </b><br>
<b>कारवां मजबूत होते हीं, </b><br>
<b>वो लोग लगे आपको आँख दिखाने ...</b></p>
<p dir="ltr"><b>आपने जीतना चाहा उसका भरोसा, </b><br>
<b>जिसके ख़ुद का कोई भरोसा नहीं था, </b><br>
<b>ठगी महसूस कर रही हैं आप, </b><br>
<b>इसके पीछे क्या आपका स्वार्थ अभिभूत समझौता नहीं था ..</b></p>
<p dir="ltr"><b>सफ़र छोटा करने की होड़ में, </b><br>
<b>अपनों से आगे निकलने की दौड़ में, </b><br>
<b>किसी के भरोसे को आपने भी ठगा था,</b><br>
<b>गीला कुछ ख़ास नहीं नियत आपका हीं बेवफ़ा था ...</b></p>
<p dir="ltr"><b>आज भी हम आपके साथ हैं, </b><br>
<b>बदलना हमें यह हालात है, </b><br>
<b>हमें छोड़ने वाले ये तो बताओ, </b><br>
<b>गलती हमने की थी या तुम्हारे अंदर कोई बात है ..</b></p>