Bookstruck

यही इश्क़ ही जी खपा जानता है

Share on WhatsApp Share on Telegram
« PreviousChapter ListNext »
यही इश्क़ ही जी खपा जानता है

कि जानाँ से भी दिल मिला जानता है

मेरा शे'र अच्छा भी दानिस्ता ज़िद से
किसी और ही का कहा जानता है

ज़माने के अक्सर सितम्गार देखे
वही ख़ूब तर्ज़-ए-जफ़ा जानता है

« PreviousChapter ListNext »