
नल-दमयन्ती
by वीरभद्र
नल दमयन्तीके सौंदर्य की प्रशंसा सुनकर उससे प्रेम करने लगा। उनके प्रेम का सन्देश दमयन्ती के पास बड़ी कुशलता से पहुंचाया एक हंस ने। दमयन्ती भी अपने उस अनजान प्रेमी की विरह में जलने लगी। कैसे हुआ उनका मिलन? क्या अघटीत घटा? कैसे उभारे वे दोनो आपने जीवन के दुविधा से? इस कथा में प्रेम और पीड़ा का ऐसा प्रभावशाली पुट है कि भारत के ही नहीं देश-विदेश के लेखक व कवि भी इससे आकर्षित हुए बिना न रह सके।
Chapters
- राजा नल
- दमयन्ती
- दमयन्ती का स्वयंवर
- नल-दमयन्ती
- देवतओं का आगमन
- कलि कि सौगन्ध
- दुर्घटना
- वनवास
- चेदि राज
- कार्कोटक
- नल की खोज
- यात्रा
- वाहूक
- अन्तिम अध्याय









