पन्छीं
ना उड़ दीवाने पन्छीं
सुनके कहाणी किसी
दीवाने पन्छी की
था उस वक्त खुला आसमा
माँ के गोदसी ज़मी
अटक जाए किसी जाले में
तो साथ थी यारोंकी यारी
अब बिछे है जाले आसमानोंमें
उडनेकी गुंजाइश नहीं
अटक जाए किसी जाले में
और गिरने लगे ज़मी पर
तो कोई उम्मिद न रखना
क्योकी अब ज़मी माँ के
गोदसी नहीं