खामोश दील
<p dir="ltr">खामोश.. ये दील कहता कुछ,<br>
बंद आँखे भी.. देखती हे कुछ ।।</p>
<p dir="ltr">पर.. ना पता हे उसका,<br>
ना उसके दि-दार का।।</p>
<p dir="ltr">दिल धडकता हे कुछ,<br>
आँखे बयाँ करती हे कुछ ।।</p>
<p dir="ltr">ना सागर की घहराई ने, समझा कुछ,<br>
ना आसमा की दुरीयोँ.. ने कुछ।।</p>
<p dir="ltr">हम तो नाव लेके निकले थे उसे ढूँडने,<br>
मारे फिरते समँदर मे कुछ, गलीयोँ मे कुछ।।</p>
<p dir="ltr">ना तो हम खुदा से कहेँगे कुछ,<br>
ना आपने आपसे कुछ।।</p>
<p dir="ltr">हम तो मोहब्बत के मारे हे तेरे,<br>
तुम ही हो अब हमारे सब कुछ।।</p>
बंद आँखे भी.. देखती हे कुछ ।।</p>
<p dir="ltr">पर.. ना पता हे उसका,<br>
ना उसके दि-दार का।।</p>
<p dir="ltr">दिल धडकता हे कुछ,<br>
आँखे बयाँ करती हे कुछ ।।</p>
<p dir="ltr">ना सागर की घहराई ने, समझा कुछ,<br>
ना आसमा की दुरीयोँ.. ने कुछ।।</p>
<p dir="ltr">हम तो नाव लेके निकले थे उसे ढूँडने,<br>
मारे फिरते समँदर मे कुछ, गलीयोँ मे कुछ।।</p>
<p dir="ltr">ना तो हम खुदा से कहेँगे कुछ,<br>
ना आपने आपसे कुछ।।</p>
<p dir="ltr">हम तो मोहब्बत के मारे हे तेरे,<br>
तुम ही हो अब हमारे सब कुछ।।</p>